यह मत सोच ,चल नहीं सकता एक बार कदम उठा कर देख. यह मत सोच ,चल नहीं सकता एक बार कदम उठा कर देख.
जिसमे भाव न हो, वा कविता नहीं फूट जाये चाहे जब ये वो सरिता नहीं। जिसमे भाव न हो, वा कविता नहीं फूट जाये चाहे जब ये वो सरिता नहीं।
तम की चादर से, आशियाँ बनाकर, चांदनी की उसमें छप्पर लगाकर, सुकून में जीवन चले, तम की चादर से, आशियाँ बनाकर, चांदनी की उसमें छप्पर लगाकर, सुकून में जीव...
मैं अब मजबूत हो गया, एक पल ऐसा आया, जब मैं मशहूर। मैं अब मजबूत हो गया, एक पल ऐसा आया, जब मैं मशहूर।
बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है। बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है।
यही जिंदगी का संंबल है। यही जिंदगी का संंबल है।